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Karwa Chauth 2022 | ‘करवाचौथ’ कर रही महिलाएं यह कथा पढ़ना न भूलें, इसके वाचन से पूर्ण होगा आपका व्रत और करवा माता की होगी असीम कृपा

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‘करवाचौथ’ कर रही महिलाएं यह कथा पढ़ना न भूलें, इसके वाचन से पूर्ण होगा आपका व्रत और करवा माता की होगी असीम कृपा

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: 13 अक्टूबर, यानी आज गुरुवार को ‘करवा चौथ’ (Karwa Chauth) का पावन व्रत है। शास्त्रों के अनुसार ,इस दिन ‘करवा माता’ की भी विधिवत पूजा की जाती है। कहते हैं, इस दिन पूजा करने के साथ ‘करवा माता’ कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। तभी व्रत का पूर्ण फल मिलता है। आइए जानें करवा चौथ व्रत कथा के बारे में।

पौराणिक कथा के अनुसार, तुंगभद्रा नदी के पास देवी करवा अपने पति के साथ रहती थीं। एक दिन उनके पति नदी में स्नान करने गए थे, तो वहां उन्हें एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और नदी में खींचने लगा। करवा के पति उन्हें पुकारने लगे। आवाज सुनकर जैसे ही करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं तो उन्हें देखा कि मगरमच्छ उनके पति को मुंह में पकड़कर नदी में ले जा रहा था। यह देखकर तुरंत ही करवा ने एक कच्चा धागा लिया और मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया। करवा का सतीत्व इतना मजबूत था कि वो कच्चा धागा टस से मस नहीं हुआ।

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अब स्थिति ऐसी थी मगरमच्छ और करवा के पति दोनों के ही प्राण संकट में थे। फिर करवा ने यमराज को पुकारा। करवा ने यमराज से प्रार्थना की कि वो उनके पति को जीवनदान और मगरमच्छ को मृत्युदंड दें। लेकिन यमराज ने उन्हें मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मगरमच्छ की आयु अभी बाकी है तो वो उन्हें मृत्युदंड नहीं दे सकता है। लेकिन उनके पति की आयु शेष नहीं है। यह सुनकर करवा बेहद क्रोधित हो गईं। उन्होंने यमराज को शाप देने को कहा। उनके शाप से डरकर यमराज ने तुरंत ही मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया, साथ ही करवा के पति को जीवनदान दे दिया।

यही वजह है कि  ‘करवा चौथ’ का व्रत किया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाल लिया था वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना। करवा माता के द्वारा बांधा गया वो कच्चा धागा प्रेम और विश्वास का था। इसके चलते ही यमराज सावित्री के पति के प्राण अपने साथ नहीं ले जा पाए।



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