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Navaratri 2022 | नवरात्रि के छठे दिन ‘मां कात्‍यायनी’ की होगी पूजा, जिनके विवाह में आ रही बाधाएं वे इस दिन इस विधि से करें पूजा और इन मंत्रों का करें जाप

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-सीमा कुमारी

1 अक्टूबर, शनिवार को ‘शारदीय नवरात्रि’ (Shardiya Navratri) का छठवां दिन है। शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां कात्यायनी की विधिवत पूजा करने से भक्तों की सारी मनोकामना पूरी होती है। इनकी पूजा के प्रभाव से कुंडली में विवाह योग भी मजबूत होता है। इसके साथ ही शत्रुओं के ऊपर विजय प्राप्त होती है। आइए  जानें मां कात्यायनी का स्वरूप, पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती।

-पूजा विधि

मां कात्यायनी की पूजा पीले और लाल रंग के वस्त्र धारण करके ही करनी चाहिए। मां कात्यायनी का ध्यान करते हुए हाथ में पीला फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद मां को शहर अर्पित करें। मां को शहद चढ़ाना बहुत ही शुभ रहता है।

जिन लोगों के विवाह में बाधाएं आ रही हैं, वे गोधूलि बेला में पीले वस्त्र धारण करके मां कात्यायनी के सामने दीपक जलाएं। इसके बाद मां को पीले रंग के फूल अर्पित करें। फूल के बाद हल्दी की तीन गांठ अर्पित करें। इसके बाद मां के मंत्रों का जप करें और इन तीन गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें।

शास्त्रों के अनुसार, देवी मां का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला है। मां का वाहन सिंह है। मां के 4 भुजाएं हैं। एक हाथ में तलवार, दूसरे में कमल और दो हाथ अभय मुद्रा और ‘अभय मुद्रा’ में है।

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मंत्र

1.या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

2.चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना।

कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि।।

मां कात्यायनी की आरती

जय-जय अम्बे जय कात्यायनी

जय जगमाता जग की महारानी

बैजनाथ स्थान तुम्हारा

वहा वरदाती नाम पुकारा

कई नाम है कई धाम है

यह स्थान भी तो सुखधाम है

हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी

कही योगेश्वरी महिमा न्यारी

हर जगह उत्सव होते रहते

हर मंदिर में भगत हैं कहते

कत्यानी रक्षक काया की

ग्रंथि काटे मोह माया की

झूठे मोह से छुडाने वाली

अपना नाम जपाने वाली

बृहस्‍पतिवार को पूजा करिए

ध्यान कात्यायनी का धरिए

हर संकट को दूर करेगी

भंडारे भरपूर करेगी

जो भी मां को ‘चमन’ पुकारे

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।



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