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World Thrombosis Day 2022: हेल्थ के लिए घातक है थ्रोम्बोसिस डिजीज, जानें क्या है इसका कारण और उपचार

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World Thrombosis Day 2022: आज विश्व थ्रोम्बोसिस दिवस है. यह हमारी हेल्थ के लिए काफी घातक बीमारी है. यह कितनी खतरनाक बीमारी है इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि दुनिया में मरने वाले 4 लोगों में से एक की मृत्यु का कारण यही बीमारी है. एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 9 लाख लोग इस समय थ्रोम्बोसिस की बीमारी से पीड़ित हैं. यह बीमारी तब होती है जब धमनियों या फिर कोशिकाओं में खून का थक्का जमा हो जाता है. थ्रोम्बोसिस में यह ब्लड के थक्के हृदय की रक्त वाहिनियों में बनते हैं.

थ्रोम्बोसिस की समस्या को सामान्यतौर पर खून के थक्के बनने के तौर पर जाना जाता है. यदि खून के थक्के मस्तिष्क और फेफड़ें जैसे महत्वपूर्ण अंग में बन जाते हैं तो यह पूरी जीवन भर के लिए एक खतरनाक स्थिति पैदा कर देता है. फर्स्ट पोस्ट के अनुसार थ्रोम्बोसिस की बीमारी दो प्रकार की होती है.

धमनी थ्रोम्बोसिस ( Arterial thrombosis): थ्रोम्बोसिस की एक ऐसी स्थिति है जिसमें ब्लड वाहिकाएं प्रभावित होती हैं जो कि हृदय से खून शरीर के दूसरे हिस्सों में पहुंचाती हैं. इनमें खून के थक्के बनने से दिल के दौरे और स्ट्रो की समस्या की संभावना बढ़ जाती है.

शिरापरक थ्रोम्बोसिस (Venous thrombosis): थ्रोम्बोसिस की इस स्थिति में वे नसें प्रभावित होती हैं जो कि खून को शरीर से हृदय तक ले जाती हैं.

थ्रोम्बोसिस का प्रभाव (Impact of thrombosis): थ्रोम्बोसिस के कारण बनने वाले खून के थक्के कई तरह से हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं.

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डीप वेन थ्रोम्बोसिस: इसमें आमतौर पर पिंली और जांघ में दर्द होता है. पैर, टखने और एड़ी में सूजन की समस्या होती है. डीप वेन थ्रोम्बोसिस में त्वचा का रंग हल्का पड़ने लगता है.

पल्मोनरी एम्बोलिज्म: इसमें सबसे ज्यादा फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है और इसमें दूसरे अंगों तक ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा पहुंचने में काफी समस्या होने लगती है.

मस्तिष्क में प्रभाव: मस्तिष्क साइनस थ्रोम्बोसिस एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी है. इसमें स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है क्योंकि मस्तिष्क की कोशिकाएं में थक्का जमने की वजह से रक्त का प्रवाह प्रवाहित होता है.

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थ्रोम्बोसिस का इलाज:

  • डुप्लेक्स अल्ट्रासोनोग्राफी एक इमेजिंग प्रक्रिया वह तरीका है जिससे थ्रोम्बोसिस का इलाज संभव है. इस विधि में नसों के रक्त प्रवाह की जांच के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करती है. इस विधि से डीप वेन ब्लॉकेज या रक्त के थक्कों का पता लगाया जा सकता है.
  • थ्रोम्बोसिस का पता लगाने के लिए पैर या टखने की एक बड़ी नस का उपयोग कंट्रास्ट वेनोग्राफी में किया जाता है, इसमें एक खास तरह का एक्सरा होता है जिसमें पैर या कूल्हे की गहरी नसों को देखने की अनुमति देता है. यह रक्त के थक्कों की पहचान करने के लिए सबसे प्रभावी परीक्षण है, लेकिन इसमें इस विधि में कई उपकरणों को शरीर के अंदर प्रवेश कराया जाता है.

  • डी-डिमर रक्त परीक्षण में एक रसायन के माध्यम से ब्लड के थक्के का पता लगाया जाता है. यदि इसकी रिपोर्ट निगेटिव है तो अधिक संभावना है कि रोगी की नसों में किसी तरह का थक्का नहीं है.
  • एंटीकोआगुलंट्स, जिन्हें आमतौर पर ब्लड थिनर के रूप में जाना जाता है यह शिराओं में रक्त के थक्कों को बड़ा होने से रोकने में मदद करते हैं. ब्लड थिनर नसों में नए थक्के बनने की संभावना को भी कई गुना तक कम करते हैं.

Tags: Health, Lifestyle

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